भोज ने भी कहा है कि लोक को छोड़कर और कहीं ग्राम्य प्रयोग नहीं चलते।
2.
उनकी रचनाएं कितनी फूहड़, कितनी बोदी और एकदम बेतुकी हैं।” इसके बाद तुम आंख मूंदकर मेरी एक कविता को उठा लो और उसमें जगह-जगह छंद-भंग, पुनरावृत्ति, ग्राम्य प्रयोग और अश्लीलता की बारीकी से तलाश करो।